सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी ! अरे रामा... ।। सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी ! अरे रामा... ।।
अरे, ओ बंदर, कैसे झूल रहा तू, पेड़ों के उपर,? मान गया तेरी पकड़ पर, लटका है कैसे तू अरे, ओ बंदर, कैसे झूल रहा तू, पेड़ों के उपर,? मान गया तेरी पकड़ पर, लट...
बीती जायें जिन्दगानी, जीवन दो दिन का।। बीती जायें जिन्दगानी, जीवन दो दिन का।।